विवाह के पश्चात पति पत्नी का कर्तव्य बन जाता है कि एक दूसरे पर अपना विश्वास कायम रखें । भावार्थ ही कि दोनों जती- सती की मर्यादा का निर्वाह करें । पति को अटल विश्वास हो कि मेरी पत्नी अन्य पुरुष को कभी समर्पित नहीं हो सकती, चाहे वह कितना ही सुंदर तथा धनी हो। इस प्रकार पत्नी को अटल विश्वास हो कि मेरा पति अन्य औरत से प्रभावित होकर मिलन नहीं कर सकता चाहे स्वर्ग से कोई अप्सरा भी आ जाए ।

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कथा:-
एक फौजी जवान था । उसकी पत्नी सती यानी पतिव्रता थी । यह बात उसने अपने साथियों को फौज में बता दी । यह बात राजा के मंत्री शेर खान (मुसलमान) के पास पहुंची तो उसने राजा को बताई और इस झूठ-सच की जांच करने की प्रार्थना की । राजा ने सभा लगाई तथा उस फौजी चाप सिंह चौहान को बुलाया । सभा में राजा ने पूछा कि आप कह रहे हो कि आपकी पत्नी पतिव्रता है, वह अन्य पुरुष से किसी लालच में मिलन नहीं कर सकती । फौजी चाप सिंह ने कहा कि यह शत प्रतिशत सत्य है। राजा ने कहा कि यदि झूठ पाई तो ? फौजी ने कहा कि जो सजा आप दे, मंजूर होगी ।
शेर खान मंत्री ने कहा कि राजा जी ! यह परीक्षा में स्वयं करूंगा । राजा ने कहा कि ठीक है। चाप सिंह ने कहा कि मेरे विवाह के समय मिली सुहाग की निशानी एक पटका (कपड़े का परना) तथा कटारी मेरी पत्नी नहीं दे सकती । यदि शेरखान यह ले आया तो मैं हार मान लूंगा तथा मेरी पत्नी के शरीर का कोई चिह्न बता देना मैं मान लूंगा कि मेरी पत्नी धर्म से गिर गई है ।
शेर खान ने चाप सिंह के नगर में जाकर एक मुखबिर स्त्री से कहा कि एक चाप सिंह फौजी की पत्नी रहती हैं । उसके साथ मेरा मिलन करा दे । तेरे को बहुत धन दूंगा । उस स्त्री ने कहा कि यह किसी कीमत पर संभव नहीं है । फिर शेर खान ने कहा कि किसी तरह उसके घर से विवाह में मिलने वाली सुहाग की निशानी पटका तथा कटारी ला दे । चाहे चुरा कर ला दे । तथा चाप सिंह की पत्नी सोमवती के गुप्तांग के पास या जांग सांथल पर कोई निशान हो तो वह पता कर दे । वह स्त्री मेहमान बनकर चाप सिंह की नकली भुआ बनकर सोमवती के घर गई । सोमवती के विवाह के पश्चात चाप सिंह की बुआ नहीं आई थी । बीमार होने के कारण विवाह में भी नहीं आ सकी थी । कई दिन रुकी । सोमवती को स्नान करते दिखा तो निकट जाकर उसके सुंदर शरीर की प्रशंसा करने के बहाने अंग-अंग देखा। सोमवती के गुप्तांग के पास बड़ा तिल था । यह सब निशानी देखकर मुखबीर पटका तथा कटारी चुरा कर ले गई और शेर खान मंत्री ने राजा को बताया कि मैं उसके साथ मिलन करके आया हूं । उसकी जांघ में काला तिल है । यह सुहाग की वस्तु पतिव्रता किसी को नहीं देती । मेरे प्रेम में तथा धन के लालच में मुझेको दी है।
राजा ने सभा लगाई । चाप सिंह को बुलाया । कहा कि यह पटका तथा कटारी किसकी है ।चाप सिंह ने ध्यान से देखा तथा स्वीकार किया कि मेरी है । शेरखान ने कहा कि और बताऊ, सुन ! तेरी पत्नी की दाई जांग पर गुप्तांग के पास काला तिल है। चाप सिंह ने कहा कि यह सब सत्य हैं परंतु मेरी पत्नी अपनी धर्म से नहीं कर सकती । राजा ने कहा कि तू अब भी वही रट लगा रहा है। तू झूठा है, तेरे को आज से 1 महीने बाद फांसी की सजा दे दी जाएगी । तेरी जो अंतिम अंतिम इच्छा हो, वह बता । चाप सिंह ने कहा कि मैं अपनी पत्नी से मिलना चाहता हूं । राजा ने आज्ञा दे दी । चाप सिंह अपनी पत्नी के पास गया । उसको बेवफाई के कारण ऊँच-नीच कहा और बताया कि मेरे को उस दिन तेरे कारण फांसी लगेगी । सोमवती ने बताया कि आप की बुआ का नाम लेकर एक स्त्री आई थी । उसने मेरे अंग का चिन्ह देखा तथा पटका और कटारी चुराकर ले गई । चाप सिंह ने बताया कि मंत्री शेर खान आया था । उसने यह सब षड्यंत्र रचा है। चाप सिंह वापस लौट गया । फांसी वाले दिन से 1 सप्ताह पहले सोमवती राजा की नगरी में एक नर्तकी बन कर गई और राजा को नृत्य दिखाने के लिए कहा । राजा ने आज्ञा दे दी। पुरे सभासद उपस्थित थे । मंत्री शेरखान भी उपस्थित था । नर्तकी के नृत्य से राजा अति प्रसन्न हुआ तथा नृतकी से कहा कि मांगो क्या मांगती हो, मैं अति प्रसन्न हूं, नर्तकी ने कहा कि वचनबद्ध हो जाओ तब मांगूंगी । राजा ने कहा कि राज्य के अतिरिक्त कुछ भी मांग, में वचनबद्ध हूं ।
नर्तकी ने कहा कि आपकी सभा में मेरा चोर हैं। मेरे घर से चोरी करके लाया हैं । शेरखान मंत्री नाम हैं। उसको फांसी की सजा दी जाए । शेरखान से राजा ने पूछा कि बता शेरखान !कितनी सच्चाई है ? शेरखान बोला कि हे परवरदिगार ! मैंने तो इस औरत की आज से पहले कभी शक्ल भी नहीं देखी थी।
तब सोमवती ने कहा कि यदि आपने मेरी शक्ल भी नहीं देखी थी तो यह पटका और कटारी किसके घर से लाया । मैं उस चाप सिंह की पतिव्रता पत्नी हूं । जिसे तेरी झूठ के कारण फांसी दी जा रही हैं । चाप सिंह को बुलाया गया, राजा ने चाप सिंह को आधा राज्य सौंप दिया और क्षमा कर दिया तथा शेरखान मंत्री को फांसी की सजा दी गई। धन्य है ऐसी बेटियां जिन पर नाज है भारत को ।
गरीब दास जी को परमेश्वर कबीर जी ने बताया था कि:-
तुरा न तीखा कूदना, पुरुष नहीं रणधीर ।
नहीं पद्मनी नगर में, या मोटी तकसीर ।।
भावार्थ :- कबीर जी ने बताया कि गरीबदास दास जिस नगर व देश में घोड़ा तेज दौड़ने व ऊंचा कूदने वाला नहीं हैं और नागरिक शूरवीर नहीं है और जिस देश व नगर में पद्मिनी यानी पतिव्रता स्त्री नहीं है, तो यह बहुत बड़ी तकसीर यानी कमी है इस प्रकार चरित्रवान स्त्री-पुरुष दोनों का होना अनिवार्य है ।

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